2003 में एक शादीशुदा महिला ने शूटिंग के गहरे बैठे डर को दूर किया.उसकी मदद के लिए मां से उसकी बेताब विनती पर कोई ध्यान नहीं गया.वो अपने पति पर विश्वास नहीं कर पा रही थी और लगातार पृथक और व्याकुल होती जा रही थी.ये उसकी अनकही चिंताओं और छिपी हुई इच्छाओं की कहानी है.